Boosts Confidence: Lord Hanuman symbolizes power and bravery, and worshipping him can Improve self-assurance and fortitude in experiencing troubles.
व्याख्या – गुरुदेव जैसे शिष्य की धृष्टता आदि का ध्यान नहीं रखते और उसके कल्याण में ही लगे रहते हैं [ जैसे काकभुशुण्डि के गुरु], उसी प्रकार आप भी मेरे ऊपर गुरुदेव की ही भाँति कृपा करें ‘प्रभु मेरे अवगुन चित न धरो।’
भावार्थ – आपने वानर राज सुग्रीव का महान् उपकार किया तथा उन्हें भगवान् श्री राम से मिलाकर [बालि वध के उपरान्त] राजपद प्राप्त करा दिया।
कानन कुण्डल कुञ्चित केसा ॥४॥ हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।
“You flew towards the Sunshine who's thousands of decades of Yojanas away, thinking of him for a sweet fruit.”
He is customarily thought to become the spiritual offspring of the wind deity Vayu, who is claimed to get performed an important position in his birth.[seven][8] In Shaiva custom, he is regarded to be an incarnation of Shiva, when in the majority of the Vaishnava traditions he is definitely the son and incarnation of Vayu. His tales are recounted not merely in the Ramayana but additionally during the Mahabharata and a variety of Puranas.
mahābīraMahābīraGreat braveness jabaJabaWhen nāmaNāmaName SolarāvaiSunāvaiHeard / named Which means: Evil Spirits/Ghosts and Demons don’t come close to when your identify is uttered – Oh terrific Wonderful hero!.
manaManaMind / considered kramaKramaActions / deed vachanaVachanaWords dhyānaDhyānaMeditate / ponder jo lāvaiJo lāvaiWho retains / applies This means: Lord Hanuman releases from afflictions, sufferings and difficulties for individuals who recall/meditate him in views, text and deeds.
व्याख्या – कोई औषधि सिद्ध करने के बाद ही रसायन here बन पाती है। उसके सिद्धि की पुनः आवश्यकता नहीं पड़ती, तत्काल उपयोग में लायी जा सकती है और फलदायक सिद्ध हो सकती है। अतः रामनाम रसायन हो चुका है, इसकी सिद्धि की कोई आवश्यकता नहीं है। सेवन करने से सद्यः फल प्राप्त होगा।
भावार्थ – आपके हाथ में वज्र (वज्र के समान कठोर गदा) और (धर्म का प्रतीक) ध्वजा विराजमान है तथा कंधे पर मूँज का जनेऊ सुशोभित है।
You flew to the Solar who is thousands of many years of Yojanas away, thinking of him like a sweet fruit.
नारद सारद सहित अहीसा ॥१४॥ जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
श्री राम स्तुति
छूटहि बन्दि महा सुख होई ॥३८॥ जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।